- 119 Posts
- 1769 Comments
वैसे तो मैं कवितायेँ नहीं लिखता, लेकिन कल रात की बारिश ने मुझे प्रेरित किया की मैं अपने उस एहसास को शब्दों मैं बयां करूँ. मैंने एक छोटी सी कोशिश की है बारिश के एहसास को समझने की.
वो कौन थी,
कल रात जो मेरे स्वप्न में आई थी,
चुपके से, छुप कर,
एक नूतन स्पर्श लायी थी.
मेरे चेतन-मन को आनंदित कर,
मेरे ह्रदय में अमृत घोल गई,
नैनों की भाषा बोल कर,
कुछ प्रेम की बातें बोल गयी.
वो कौन थी,
जिसकी पहली बूँद ने मुख चूम,
वर्षों से प्यासे इस तन को,
आलिंगन का एहसास दिया.
तपते हुए मेरे यौवन को,
छू कर,
नव आलिंगन कर,
मेघों को चीर निकल आई.
मृत परा हुआ था मैं,
सदियों से,
निष्प्राण और अचेतन,
अपनी बूंदों से,
नवजीवन मेरा लायी.
वो कौन थी,
घुमड़-घुमड़,
नृत्य किया था जिसने,
विरह और मिलन की पीड़ा,
जिसके मुख पे लगा था दिखने.
वो कौन थी,
अपनी बूंदों से,
मुझे ममत्व का वरदान दिया,
छू कर मेरे नारी तन को,
एक बहुत बड़ा सम्मान दिया.
,
Read Comments