हमें हमारा हक़ चाहिए,(नौसिखुआ लेखक वर्ग, जागरण जंक्शन)!(हास्य)
मैं कवि नहीं हूँ!
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वैसे तो हमें इस मंच के बड़े-बड़े लेखकों की तरह लिखना नहीं आता. और हमें एक बात का बड़ा खेद है, चर्चा में आने के तौर-तरीके हमारे मंगनू मास्टर साहब ने हमें कभी नहीं सिखाया. मास्टर साहब ने बस इतना ही कहा था की मन से लिखना. तुम ठीक-ठाक लिख लेते हो. लिखते लिखते सिख जाओगे. तो मास्टर साहब कहे अनुसार हम लिखने लगे. लेकिन हुआ क्या. वहीँ के वही हैं हम. अब तो लोग पढ़ते भी नहीं. रोज आते हैं अपनी लेखनी को खुद ही पढ़ कर चले जाते हैं. वैसे एक बात याद आई, अभी कुछ दिनों पहले हमारे एक लेख आज की आधुनिक सीता पर दो बार प्रहार हुआ. अब इसे संयोग ही कहेंगे की दोनों प्रहार महिलाओं ने ही किया. उन्हें प्रहार करने को किसने कहा, चलिए छोडिये. ______________________________________________________________________________________________________ वैसे मेरा इस ब्लॉग को लिखने का एक कारन ये है की में संपादक जी से नम्र निवेदन करना चाहता हूँ की श्रीमान हमारे जैसे टूटपुन्जिये लेखकों के लिए एक अलग स्थान तैयार किया जाये. अब इतने बड़े-बड़े लेखकों के बीच में हम नौसिखुओं को रखियेगा तो हमें पड़ेगा कौन. और कोई पढ़ेगा नहीं तो क्या हम अपना लेख अपने सर पर लाड के घूमेंगे. वैसे भी गर्मी में हमारा वजन थोडा कम हो गया. आजकल अपना वजन तो संभालता नहीं हम अपने शब्दों का भर कैसे धोयेंगे. अपनी इस शारिरीक कमजोरी की वजह से हमने आपसे थोड़ी सी जगह किराये पर ली है. लेकिन आप हम नौसिखुओं की सुनते कहाँ हैं. ______________________________________________________________________________________________________ सबसे पहले तो आप ब्लॉगस्टार की घोषणा करें, ताकि ये पता चल जाये की ब्लॉगस्टार कौन है, अदितिजी, allrounder भाई, अंकलजी, भाईजी, गर्ग मैडम या टी२० की लिस्ट के अन्य प्रतिभागी. उसके बाद हमारे जैसे नौसिखुओं के लिए आप अपने होमपेज पर नौसिखुआ ब्लॉग करके एक नया टैब बनाएं. जिससे लोग सीधा हमारे पास पहुँच सकें. कई बार लोग ब्लॉगस्टार की खोज में हमारे ब्लोग्स पढ़ जाते हैं और हम कमेन्ट से वंचित रह जाते हैं. अब हमारा नौसिखुआ टैब होगा तो पढ़ने वालों को ये तो पता होगा की वो नौसिखुओं को पढ़ रहे हैं. तो हमारा प्रोत्साहन दुगुना हो जाएगा. ______________________________________________________________________________________________________ वरना हमारा तो बंटाधार ही समझिये, बड़े-बड़े साहित्यकारों के बीच से हमें निकल कर हमें हमारा हक़ दें. वरना आपको तो पता है, अपने देश में काम कम हड़ताल जायदा होता. वैसे आपको एक अन्दर की बात बता दें, कई ऐसे नौसिखुए हैं जो मेरी तरह परेशान हैं. मैं सबको साथ में लेकर आमरण अनशन पर चला जाऊंगा. फिर तो आपको हमारी मांगें पूरी करनी होंगी….. एक और सुझाव, इतनी बड़ी वेबसाइट बनायीं आपने लेकिन एक चीज़ में आप भूल कर गए….. मैंने बहुत से वेबसाइट पर एक व्यवस्था देखि है. आप उसका कंटेंट कॉपी नहीं कर सकते. आप तो ज्यादा जानते हैं, या यूँ कहें की उन साइटों पर राइट क्लिक काम नहीं करता…. ऐसा ही कुछ प्रावधान यहाँ भी हो जाता तो हमारे लेखकों की लेखनी की जो चोरी हुई है वो नहीं होती… आप से मेरा ये रिक्वेस्ट है की आप ऐसा ही कोई टेक्निक अपने वेबसाइट पर भी लायें. आप से ये नम्र निवेदन उग्र होकर हड़ताल तक जा सकता है, इसलिए हम नौसिखुओं की बात को मानते हुए हमें हमारा ब्लॉग स्टार प्रदान करें साथ ही हमें हमारा अधिकार भी दिया जाए… हमारा अलग स्थान……
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