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डोंट mind… एक मजाक मेरी तरफ से…

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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मैं नाम नहीं लूँगा उस व्यक्ति का जिसने मुझे ये प्रेरणा दी है (लड़की नहीं कलम, चलने की)….. क्यूँ?… भाई हमारी पब्लिसिटी उन्हें मिल गयी तो…. यहाँ तो होड़ है.. नाम का होड़, काम का होड़… एक दुसरे से आगे जाने का होड़… ऐसे में चातकजी का नाम मैं अपने पोस्ट में क्यूँ लूँ…. ओह सॉरी… नाम को ओमिट करके चलें. समझें की हमने नाम नहीं लिया है… आप हमें पढ़ने आये हैं, तो हमें ही पढ़िए बेकार में किसी और को क्यूँ पढेंगे आप… चातकजी ने एक विवाह ऐसा भी लिखा, तो क्या मैंने नहीं लिखा…. हुंह… अरे भाई नौसिखुआ हैं तो क्या हुआ… नया बौलर सचिन को आउट नहीं कर सकता क्या?………

ऊपर लिखी गयी बातें बाज़ार जाने से पहले लिखी थी मैंने… वैसे बेरोजगार नहीं हूँ मैं की आप सोच रहे हैं…. बाज़ार… दोपहर में?… हुआ ऐसा की मैं, अपने नए ब्लॉग की प्रेरणा ले लिखने बैठा ही था की नीचे से माताजी की आवाज आई… अरे कहाँ हो… थोडा(मतलब थोडा ही है, भाषा पर मत जाइए, भावनाओं को समझिये) चीनी ख़तम हो गया है.. बाज़ार जाकर ले आओ… हमने कहा की हम काम कर रहे हैं.

कौन सा काम?… पूछते हुए माताजी ने कहा, बच्चों को पढ़ाने तो ४ बजे जाना है, अभी क्या कुश्ती खेल रहे हो.. जल्दी जाओ और सामान लेकर आओ….

अब लिखने वालों के काम कोई काम समझता कहाँ है, हम तो निठल्लों में गिने जाते हैं.. अभी कुछ दिन पहले मेरे एक मित्र ने पूछा की क्या कर रहे हो आजकल.. सुना है अच्छी खासी नौकरी छोड़ आये हो…

हमने कहा… बस थोडा बहुत बच्चों को निस्वार्थ पढ़ा रहा हूँ.. साथ ही साथ पढ़ भी रहा हूँ… साहित्य की तरफ अचानक से रुझान हुआ है.. सोचा क्यूँ न ट्राई करके देखूं… आजकल तो हर कोई लिख रहा है.. लिखना आता हो या न हो… कमेन्ट तो दे ही सकता हूँ, बड़े लोगों पर..

पढना तो समझ आया.. ये लिख क्या रहे हो? ये भी कोई काम है…

अब इन्हें कौन समझाए की काम क्या है? चलिए छोडिये हम अपने काम की तरफ आते हैं… कुछ कमेन्ट मैं भी पास करने जा रहा हूँ आज.. फर्क सिर्फ इतना है की ये लड़कियों के ऊपर नहीं, कुछ बड़े-बड़े लोगों पर है….

शुरुआत करूँगा धोनीजी से.. भाई साहब आपको इस देश के युवाओं से दुश्मनी है क्या… स्टार पे स्टार… स्टार सिटी मोटरसाइकिल का प्रचार भी हथिया लिया… साइना नेहवाल से लेकर हमारे जागरण जंक्शन के ब्लॉगस्टार तक को कोई नहीं पूछता.. सरजी आप सन्यास लेलो… कई युवाओं को आपके इस स्टार से इर्ष्या हो गयी है… हमारा भी नंबर आने दीजिये… वरना हम लाइन मन लगे कहते रहेंगे… हमारा नंबर कब आएगा.. हमारा नंबर कब आएगा… बाद हमसे मत कहियेगा की हमने चेताया नहीं है….

अब त्रासदी देखिये… हमने एक ब्लॉग लिखा था.. सुप्रीम कोर्ट में जनता दरबार, टॉप ब्लोग्स में उठा के रख दिया संपादक महोदय ने.. सिरजी, प्रतिक्रिया भी दिलवा देते तो हमें भी पता चलता की हमें भी लिखना आता है की नहीं…. आप से एक बार और रिक्वेस्ट करने की हिमाकत कर रहा हूँ.. खिसिया के हमारे ब्लॉग को फीचर्ड ब्लॉग से मत निकालिएगा…. बहुत मेहनत से लिखता हूँ… भले ही दुनियावाले लिखने को काम न माने.. आप तो मानते ही होंगे.. वरना आप भी मेरी तरह निठल्लों की टोली में शामिल हो जायेंगे…. रिक्वेस्ट ये है की आप मेरा नाम भी अपने लिस्ट में जोड़ लें.. क्या होगा, २० की जगह २१ लोग हो जायेंगे.. ऐसे में आपको कोई ये भी नहीं कहेगा की आपने, क्रिकेट के टी२० से या फिर किसी और टी20 से, जागरण के टी२० शब्द को चुराया है… क्यूंकि तब ये टी२१ हो जाएगा.. है की नहीं पते की बात….

चलिए अब थोडा राहुलजी की भी तारीफ कर दी जाए.. हमारे भावी प्रधानमंत्री हैं… उनकी चर्चा नहीं की तो देश में कैसे रहेंगे…. इन वाक्यों को लिखते हुए मिश्राजी का पिछला ब्लॉग याद आगया.. उन्होंने व्यंगकारों की पिटाई होने की बात कही थी.. लेकिन हम नहीं डरते हैं.. क्यूंकि हम तो युवा हैं… हमारे शहर में अभी कुछ दिनों पहले आये थे आप… युवाओं को राजनीती में आकर देश के लिए कुछ करने को प्रोत्साहित कर चले गए… सरजी ये तो देख लेते की कौन चुना गया… आपके सपनों को साकार करने के लिए… माँ बहिन की गालियाँ, थूक की तरह मुंह से निकालनेवाले युवाओं को आप हमारा मार्गदर्शन करने को कह गए… अब आप पूछेंगे राहुल जी की मैं आगे क्यूँ नहीं आया जब आये थे… दो कारण हैं. पहला जागरण जंक्शन का ज्ञान नहीं था हमारे पास, और दूसरा हम गए थे आपसे मिलने युनिवेर्सिटी…वहीँ जहाँ आप आये थे.. लोगों ने कुर्सियां भी तोड़ी थीं.. क्या कीजियेगा… दरभंगा में पढ़े लिखे-लोग कम हैं… हाँ यूनिवर्सिटी दो हैं.. , पता चला बिना ‘पहुँच’ के मिल नहीं सकते…. अब इसमें मेरा क्या दोष.. वैसे गलती आपकी भी नहीं.. यहाँ तो हर जगह करप्शन है…. आज के लिए इतना ही.. आपके बारे में फिर कभी लिखूंगा तसल्ली से….

अदिति बहिन तुम लिखना छोड़ दो… अरे मैडम सारे कमेन्ट तुम ले जाओगी तो हम क्या घास काटेंगे यहाँ… ऐसा है की मैं खुराना अंकल बात से सहमत हूँ लेखकों मैं प्रतिस्पर्धा तो होनी ही चाहिए.. इर्ष्या नहीं तो नवीनता ख़तम.. मुझे आपसे बड़ी इर्ष्या है… वैसे भी एक खून लिखा हुआ है मेरी कुंडली में… ये में नहीं , एक ज्योतिष ने बताया..

अंकल जी … पार्टी बदल लो… मेरा ये ब्लॉग बहुत हिट होनेवाला है… अभी से कह दे रहा हूँ…

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