Menu
blogid : 1669 postid : 749

कल

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
  • 119 Posts
  • 1769 Comments

कल
वो बीता हुआ कल
पल
वो आने वाला कल
चल
तू चलता जा
बस चल
छल
यहाँ है बस छल
बल
तुझे चाहिए बल
ढल
समय के साथ
तू ढल
हल ढूंढ़ कोई हल
पहल
होने दे पहल
जल
तू थोडा-थोडा जल
बदल
अपनी किस्मत
तू बदल
महल
बना तू
सपनों का महल
सरल
है हर मुश्कुल
सरल
अटल
ये मृत्यु है अटल
संभल
अब तो तू
संभल
कल
जो बीत गया
पल
उस पल को क्यूँ सोचें
कल
जो आएगा
पल वही है
वो कल

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh