मैं कवि नहीं हूँ!
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कल
वो बीता हुआ कल
पल
वो आने वाला कल
चल
तू चलता जा
बस चल
छल
यहाँ है बस छल
बल
तुझे चाहिए बल
ढल
समय के साथ
तू ढल
हल ढूंढ़ कोई हल
पहल
होने दे पहल
जल
तू थोडा-थोडा जल
बदल
अपनी किस्मत
तू बदल
महल
बना तू
सपनों का महल
सरल
है हर मुश्कुल
सरल
अटल
ये मृत्यु है अटल
संभल
अब तो तू
संभल
कल
जो बीत गया
पल
उस पल को क्यूँ सोचें
कल
जो आएगा
पल वही है
वो कल
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