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इंसान बदल जाते हैं

मैं कवि नहीं हूँ!
मैं कवि नहीं हूँ!
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आँखों ही आँखों में होता है इश्क, सुना है हमने कई बार
देखा जो घूम कर जहाँ में, इंसान बदल जाते हैं

करते हैं जो अमन और मोहब्बत की बातें
लेते हैं नाम खुदा का वक़्त बेवक्त,

खड़ा है आईने के सामने तन कर
ढूढ़ने निकला है अपने लिए वो नया अक्स

करते देखा इबादत पथ्थरों के ढांचे में मेहमानों को
लहू की ताक में फिरने वालों के अक्सर भगवान बदल जाते हैं

दिखावा खूब करता है अदब के साथ आदमी
बगावत ओढकर बैठा अदब के साथ आदमी

समंदर क्यूँ नहीं डोला, ये ज़मीन क्यूँ नहीं डोली
किया है अश्क को रुसवा, चलाता है मज़हबी गोली

निहायत ही शरीफ है आदमी, करता है दिलों का सौदा
देखि अजब दुनियादारी, पलों में यहाँ ईमान बदल जाते हैं

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